दोहा-गीत


 


    वाणी  अमृत  नेह के, मीठा  जेकर   गीत ।


    ऊ जग में धनवान बा, होला ओकर जीत ।।


 


    सौ  रंगन  में जग  मिले, भावे  भींगे रंग ।


    साजन रंग दे आप में, रखके अपने संग।।


 


    प्रेम पिया के राह हs, सच्चाई हs प्रीत ।


    ऊ जग में...................................।।


 


   प्रीतम के खोजी करे, जंगल-जंगल जाए ।


   अपना में जे झाँक ले, उहे पता पा जाए ।।


 


   छेड़ी मन के साज अब, गाई मन के गीत ।


   ऊ जग में....................................।।


 


   सच्चा प्यार जे पा सकल, पावल मन के मीत ।


    ऊ जग में..........................................।।


 


                             (जौहर शफियाबादी)


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