देहरादून। साढ़े चार सौ क्रिप्टो करेंसी के मालिक अब्दुल शकूर की हत्या में मास्टरमाइंड समेत तीन और को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। तीनों पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए केरल से देहरादून कोर्ट में आत्मसमर्पण करने पहुंचे थे। जहां पुलिस ने तीनों को कोर्ट के बाहर से दबोच लिया। तीनों को कोर्ट में पेश कर दिया। जहां से सभी को सुद्धोवाला जिला कारागार भेज दिया गया। इस सनसनीखेज वारदात को शकूर के ही दस दोस्तों अंजाम दिया था, जिसमें से सात की गिरफ्तारी पहले ही हो चुकी है।
एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि बीते 28 अगस्त की रात चार युवक एक कार से एक युवक को अचेत अवस्था में लेकर मैक्स अस्पताल पहुंचे। यहां चिकित्सकों ने जब उसे मृत घोषित कर दिया तो सभी वहां से फरार हो गए। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और छानबीन शुरू की। तब युवक की पहचान अब्दुल शकूर निवासी केरल के रूप में हुई। शकूर के बारे में केरल की क्राइम ब्रांच से संपर्क किया गया तो चैंकाने वाली बात पता चली। दरअसल शकूर क्रिप्टो करेंसी का कारोबार करता था। उसके पास केरल समेत दक्षिण भारत के तमाम उद्योगपतियों और रसूखदार लोगों ने निवेश कर रखा था। इस तरह उसके पास 450 करोड़ रुपये की क्रिप्टो करेंसी जमा हो गई थी, लेकिन देनदारी से बचने के लिए वह भूमिगत हो गया। वहीं, निवेशकों ने जब दबाव बनाना शुरू किया तो शकूर के दस दोस्तों ने षडयंत्र रचना शुरू कर दिया। तय योजना के तहत उसे देहरादून लेकर आए। यहां क्रिप्टो करेंसी का पासवर्ड बताने के लिए शकूर को बुरी तरह से प्रताड़ित किया, जिससे उसकी मौत हो गई। हत्याकांड में शामिल मोहम्मद अरशद निवासी ग्राम वेन्यूर, शिहाब पुत्र इब्राहिम निवासी ग्राम परमबील वेन्यूर व मुनीफ निवासी ग्राम चक्कारिकल चेलारी पोस्ट व थाना तिरूरगाड़ी चंबाड़ जिला मल्लापुर केरल देहरादून में अदालत में आत्मसमर्पण करने पहुंचे थे। जहां तीनों को मुखबिर की सूचना पर कोर्ट के बाहर से गिरफ्तार कर लिया गया। अरशद अब्दुल शकूर का सबसे विश्वसनीय दोस्त था। अरशद की नीयत में खोट इसलिए आया कि उसे लगा कि साढ़े चार सौ करोड़ रुपये की क्रिप्टो करेंसी को शकूर अकेले डकारना चाह रहा है। इस पर उसने शकूर कोर टीम के बाकी के नौ सदस्यों को करोड़पति बनाने का लालच देकर अपने साथ मिला लिया। इसके बाद वह देहरादून घुमाने के बहाने शकूर को यहां ले आया। अरशद व उसके दोस्त शकूर को लेकर 12 अगस्त को देहरादून पहुंचे थे। यहां अमानवीय यातनाएं देकर शकूर से पासवर्ड जानने की कोशिश की, लेकिन शकूर ने जुबान नहीं खोली। 28 अगस्त को उसकी हत्या कर दी गई